भारतीय सिनेमा में कुछ ऐसे कलाकार हुए हैं जिनका नाम सुनते ही अभिनय की गहराई और संवेदनशीलता की झलक सामने आ जाती है। ऐसा ही एक नाम है
असल नाम हरिहर जरीवाला, जिन्हें हम सब sanjeev कुमार के नाम से जानते हैं, उन्होंने अभिनय को सिर्फ कला नहीं, बल्कि साधना का रूप बना दिया।
इस ब्लॉग में हम उनके जीवन, करियर, फिल्मों, निजी संघर्ष और भारतीय सिनेमा में उनके योगदान पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
👶 प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
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जन्म: 9 जुलाई 1938
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जन्मस्थान: सूरत, गुजरात
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पूरा नाम: हरिहर जेठालाल जरीवाला
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उनका परिवार मुंबई में बस गया, जहाँ उन्होंने थिएटर और ड्रामा की दुनिया में कदम रखा।
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गुजराती थिएटर में अपनी छाप छोड़ने के बाद उन्होंने IPTA जैसे मंचों पर काम किया।
🎭 फिल्मी करियर की शुरुआत
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पहली फिल्म: 'हम हिंदुस्तानी' (1960) में एक छोटी सी भूमिका।
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हीरो के रूप में शुरुआत: ‘निशान’ (1965) में।
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असली पहचान मिली 1968 में 'संगर्ष' से, जिसमें उन्होंने दिलीप कुमार के साथ अभिनय किया।
🌟 प्रमुख फिल्में और किरदार
1. खिलौना (1970)
एक मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति का किरदार निभाकर दर्शकों का दिल जीत लिया।
🏆 Filmfare Best Actor Award
2. कोशिश (1972)
गूंगे-बहरों के जीवन को संवेदनशीलता से दिखाया।
🏆 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार: सर्वश्रेष्ठ अभिनेता
3. आंधी (1975)
राजनीति और रिश्तों के द्वंद को लेकर बनी फिल्म में एक गंभीर भूमिका निभाई।
🏆 Filmfare Best Actor Award
4. शोले (1975)
'ठाकुर बलदेव सिंह' का किरदार आज भी लोगों के ज़हन में जीवित है। बिना हाथों वाला एक साहसी पुलिस अधिकारी।
5. अंगूर (1982)
दोहरी भूमिका में हास्य का अनोखा रंग दिखाया। यह फिल्म आज भी कॉमेडी क्लासिक मानी जाती है।
6. अर्जुन पंडित (1976)
इस फिल्म ने उन्हें फिर से एक बेस्ट एक्टर का पुरस्कार दिलाया।
🎥 कुमार की अभिनय शैली
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उन्होंने सिर्फ हीरो की भूमिका नहीं निभाई, बल्कि कई बार उम्र से 20–30 साल बड़े किरदार भी निभाए।
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उन्होंने सिनेमा को ग्लैमर की बजाय कलात्मकता के रूप में देखा।
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गंभीर, हास्य, रोमांटिक, निगेटिव—हर किरदार को अलग ऊर्जा और गहराई दी।
💔 निजी जीवन और अधूरी प्रेम कहानियाँ
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संजीव कुमार आजीवन अविवाहित रहे।
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उनका नाम हेमा मालिनी, सुलक्षणा पंडित, और अन्य अभिनेत्रियों से जोड़ा गया।
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उनके और हेमा मालिनी के रिश्ते में उनके परिवार की दखल के कारण दूरी आ गई।
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एक शांत और अकेलेपन से भरा जीवन जिया, लेकिन कभी अभिनय से समझौता नहीं किया।
🕯️ निधन और अंतिम दिन
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मृत्यु: 6 नवंबर 1985, मुंबई
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उम्र: केवल 47 वर्ष
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हार्ट अटैक से निधन हुआ।
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उनके निधन के समय भी कुछ फिल्में अधूरी थीं, जिन्हें बाद में रिलीज़ किया गया।
🏆 सम्मान और विरासत
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3 बार Filmfare Best Actor Award
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राष्ट्रीय पुरस्कार: 'कोशिश' के लिए
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भारत सरकार द्वारा डाक टिकट जारी (2013)
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सूरत में संजीव कुमार मार्ग, स्कूल और सभागार
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आज भी उनका अभिनय 'एक्टिंग स्कूल्स' में उदाहरण के रूप में पढ़ाया जाता है।
📚 प्रेरणा और सीख
"संजय कुमार ने कभी भी 'हीरोइज़्म' को नहीं अपनाया, उन्होंने किरदार को जिया।"
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उन्होंने यह साबित कर दिया कि बिना शो-ऑफ और स्टारडम के भी एक अभिनेता दर्शकों के दिलों पर राज कर सकता है।
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वह उन गिने-चुने कलाकारों में हैं जिनकी फिल्में आज भी बार-बार देखने लायक होती हैं।
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