विद्यापति पंचांग और विश्वविद्यालय पंचांग:

 

📜 विद्यापति पंचांग और विश्वविद्यालय पंचांग: मिथिला का सबसे पुराना पंचांग अब PDF में डाउनलोड करें


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भारत के सांस्कृतिक केंद्रों में मिथिला (दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, समस्तीपुर आदि) का विशेष स्थान है। इस क्षेत्र में पंचांग न केवल धार्मिक आयोजनों का मार्गदर्शक होता है, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक निर्णयों का भी आधार बनता है।

मिथिला में प्राचीन समय से दो प्रमुख पंचांगों का उपयोग होता आ रहा है:

  1. विद्यापति पंचांग

  2. विश्वविद्यालय पंचांग (काशीश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित)

इस ब्लॉग में हम इन पंचांगों के इतिहास, महत्व और PDF डाउनलोड की सुविधा प्रदान कर रहे हैं।


📘 1. विद्यापति पंचांग: मैथिली परंपरा का गौरव

➤ इतिहास:

  • इस पंचांग का नाम महाकवि विद्यापति के सम्मान में रखा गया है।

  • यह पंचांग मैथिली भाषा में प्रकाशित होता है और खासकर मिथिला के ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक मान्य है।

➤ विशेषताएँ:

  • मैथिली लिपि और संस्कृति के अनुरूप।

  • विवाह, यज्ञ, जनेऊ, व्रत, त्योहारों के लिए शुद्ध मुहूर्त।

  • तिथि, नक्षत्र, योग, करण और पर्वों की शुद्ध जानकारी।

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🎓 2. विश्वविद्यालय पंचांग: शास्त्रसम्मत और प्रमाणिक

➤ प्रकाशक:

  • काशेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, मिथिला

➤ विशेषताएँ:

  • सौर-सिद्धांत आधारित गणना

  • महर्षि पराशर और वराहमिहिर की विधियों से निर्मित

  • शिक्षण, शोध, विवाह और पूजन हेतु शुद्ध तिथियाँ

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📅 पंचांग से क्या-क्या पता चलता है?

विषयजानकारी
तिथिहर दिन का चंद्र-आधारित काल
नक्षत्र27 नक्षत्रों की स्थिति
योगशुभ/अशुभ संयोजन
करणअर्ध-तिथि का स्वरूप
पर्वहिन्दू त्योहार, व्रत और अनुष्ठान

🧾 कैसे करें उपयोग?

  1. PDF डाउनलोड कर लें।

  2. अपने मोबाइल या लैपटॉप में स्टोर करें।

  3. हर महीने की शुरुआत में देखें – कौन से दिन कौन से कार्य करना शुभ है।

  4. व्रत, विवाह, संतानोत्पत्ति, गृह प्रवेश आदि के लिए शुभ मुहूर्त जानें।

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