बिहार में वोटर लिस्ट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामने, एक-दूसरे पर झूठ का आरोप
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले वोटर लिस्ट संशोधन (Voter List Revision) को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है।
📅 प्रकाशन तिथि: जुलाई 2025
✍️ लेखक: Desh Videsh की ख़बर टीमसुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग से कई तीखे सवाल पूछे। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि "मतदाता सूची में पारदर्शिता और निष्पक्षता किसी भी लोकतंत्र की आत्मा है।"
याचिका में यह दावा किया गया था कि वोटर लिस्ट से बड़े पैमाने पर वैध मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, और यह प्रक्रिया राजनीतिक इशारे पर हो रही है।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी क्यों बनी राजनीति का मुद्दा?
सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि चुनाव आयोग और राज्य सरकार यह साबित नहीं कर पाते कि संशोधन प्रक्रिया निष्पक्ष रही है, तो यह लोकतंत्र के खिलाफ होगा।
इस टिप्पणी के तुरंत बाद बिहार की राजनीति में उबाल आ गया और कांग्रेस और बीजेपी ने एक-दूसरे पर जोरदार हमले किए।
🗣️ कांग्रेस का आरोप:
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कांग्रेस प्रवक्ताओं ने कहा कि बीजेपी वोटर लिस्ट में गड़बड़ी कर लोकतंत्र को हानि पहुँचा रही है।
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उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि "दलित, अल्पसंख्यक और कमजोर वर्ग के वोटरों को टारगेट कर लिस्ट से हटाया गया है।"
🛡️ बीजेपी का पलटवार:
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बीजेपी नेताओं ने कहा कि कांग्रेस चुनाव हारने से पहले हार का बहाना ढूंढ रही है।
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उन्होंने कहा कि "कांग्रेस अदालत की बात को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है और झूठ फैला रही है।"
🗳️ बिहार चुनाव और वोटर लिस्ट का महत्व
बिहार में 2025 के अंत तक विधानसभा चुनाव संभावित हैं। ऐसे में मतदाता सूची की सटीकता अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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पिछले चुनावों में बहुत से इलाकों से फर्जी वोटिंग और नाम कटने की शिकायतें आई थीं।
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यदि वोटर लिस्ट में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी सामने आती है, तो यह चुनाव की वैधता पर सवाल खड़े कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने SIR जारी रखने की दी अनुमति
उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को निर्वाचन आयोग को बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को जारी रखने की अनुमति देते हुए इसे 'संवैधानिक दायित्व' बताया।न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस कवायद के समय को लेकर सवाल भी उठाया और कहा कि बिहार में एसआईआर के दौरान आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड पर दस्तावेज के तौर पर विचार किया जा सकता है।
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