बिहार में वोटर लिस्ट समीक्षा के बीच चुनाव आयोग ने पोस्ट किया अनुच्छेद 326 — आखिर क्यों है यह धारा खास?
एक संवैधानिक संदेश
चुनाव आयोग ने हाल ही में अपने X (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर भारतीय संविधान का अनुच्छेद 326 साझा किया। इसे बिहार में विशेष पुनरीक्षण (SIR) के दौरान सामने लाया गया—जिसका उद्देश्य इस बात को जोर देना है कि हर 18+ वर्ष का मानसिक रूप से सक्षम भारतीय नागरिक को वोट डालने का अधिकार है, और यह अधिकार समान रूप से सभी को मिलेगा
📜 अनुच्छेद 326 का सार:
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यह सुनिश्चित करता है कि भारत का प्रत्येक योग्य नागरिक — उम्र, मानसिक स्तर और नागरिकता की शर्त को पूरा करने पर — चुनावों में भाग ले।
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बिना इस धारा के, वोटर लिस्ट का वैधानिक आधार कमजोर हो सकता है, क्योंकि इससे यह स्पष्ट होता है कि वोटर लिस्ट में वह लोग शामिल होंगे जो कानूनी रूप से पात्र हैं।
बिहार में SIR: एक व्यापक कदम
चुनाव आयोग ने बिहार में Special Intensive Revision (SIR) शुरू की—पिछली बार यह लगभग 20 साल पहले, 2003-04 में की गई थी
क्यों SIR?
| कारण | विवरण |
|---|---|
| झूठे और मृत प्रविष्टियाँ | समय के साथ हुई गलतियों को ठीक करना |
| दस्तावेज़ सत्यापन | नागरिकता, जन्म तिथियों, माता-पिता के दस्तावेजों आदि का सत्यापन जरूरी |
| जनसांख्यिकीय विविधता | बिहार में तेजी से हुए जनसंख्या-स्थानांतरण की रिपोर्टें |
| संविधानिक जिम्मेदारी | Article 326 के तहत केवल योग्य मतदाता ही वोट दे सकें |
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SIR में घर-घर जाकर enumeration forms बाँटे जा रहे हैं; केवल पुराने मतदाताओं को 2003 की लिस्ट से ही शुरूआत करने की छूट ।
⚠️ विवाद और विपक्ष की प्रतिक्रिया
बिहार SIR को लेकर सियासी उठापटक तेज हो चुकी है:
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राजनीतिक आरोप
विपक्षी दल—जैसे RJD, कांग्रेस—ने इसे ‘NRC जैसा कदम’ बताया और आरोप लगाया कि इससे गरीब, प्रवासी और सीमांचल क्षेत्र के वोटर्स वंचित हो सकते हैं । -
Bihar Bandh और प्रदर्शन
राहुल गांधी, तेजस्वी यादव आदि के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन (चक्का जाम) हुए, जिसमें निर्वाचन आयोग की प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए । -
न्यायिक चुनौतियाँ
SC में PIL दाखिल हो चुके हैं और अदालत द्वारा सुनवाई जल्द ही (10 जुलाई) निर्धारित की गई है ।
📚 निष्पक्ष और वैधानिक? चुनाव आयोग का रुख
चुनाव आयोग का कहना है कि:
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SIR कानूनी, सामाजिक, और नैतिक रूप से आवश्यक है ।
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यह कदम केवल भारतीय नागरिकों के मताधिकार को सुरक्षित करने के लिए है, अन्यथा गैर-नागरिक वोट डाल सकते हैं ।
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आयोग ने 77,895 BLOs लगाकर घर-घर जाकर काम शुरू कर दिया है
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2003 सूची में रहने वालों को दस्तावेज़ जमा करने से छूट दी गई है, जबकि नए नामों या बाद में जुड़े लोगों को दस्तावेज़ प्रस्तुत करना अनिवार्य ।
🧩 SIR और अनुसूचित समाजों की चुनौतियाँ
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बिहार जैसे राज्य में, जहाँ जनगणना की दर कम, जन्म प्रमाणपत्र उपलब्धता सीमित, और शिक्षा व जागरूकता कम है, वहां SIR एक बड़ी चुनौती है। विशेषज्ञों ने इसे गरीब और ग्रामीण जनता के लिए निषेधात्मक बताया ।
📰 निष्कर्ष: अनुच्छेद 326 की महत्ता
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अनुच्छेद 326 हमें याद दिलाता है कि वोटर लिस्ट केवल एक चुनावी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि लोकतंत्र का मूल आधार है।
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बिहार में SIR इस धारा की पृष्ठभूमि में संचालित है—क्योंकि चुनाव आयोग भारत में वोटर लिस्ट को “शुद्ध और वैध” बनाने का ज़िम्मा लेता है।
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हालांकि विवाद है, लेकिन आयोग की मंशा संविधान की रक्षा की दिख रही है।
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