एकादशी हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में दो बार आने वाला एक पवित्र व्रत होता है। यह चंद्र मास के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को आता है। यानी एक माह में कुल दो एकादशी होती हैं – एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में।
🌿 एकादशी व्रत का महत्व
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धार्मिक महत्व: यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन व्रत करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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आध्यात्मिक लाभ: मन शुद्ध होता है, आत्मा को शांति मिलती है और भक्ति भाव में वृद्धि होती है।
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स्वास्थ्य लाभ: उपवास से शरीर की सफाई होती है और पाचन तंत्र को विश्राम मिलता है।
🛕 प्रमुख एकादशी व्रत
कुछ विशेष एकादशियाँ जो अत्यधिक पुण्यदायी मानी जाती हैं:
एकादशी का नाम | पक्ष | महत्व |
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निर्जला एकादशी | शुक्ल पक्ष | सबसे कठिन, सभी एकादशियों का फल देती है |
देवशयनी एकादशी | आषाढ़ शुक्ल | भगवान विष्णु योगनिद्रा में जाते हैं |
देवउठनी एकादशी | कार्तिक शुक्ल | विष्णु निद्रा से जागते हैं, शादी की शुरुआत |
वैकुण्ठ एकादशी | मार्गशीर्ष शुक्ल | वैकुण्ठ धाम के द्वार खुलते हैं |
कामदा एकादशी | चैत्र शुक्ल | सभी पापों का क्षय करती है |
🙏 व्रत विधि
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व्रत की पूर्व रात्रि को सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
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प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करें – तुलसी, पीले फूल, और पंचामृत से।
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'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें।
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दिनभर अन्न त्याग कर फलाहार या केवल जल से व्रत रखें। (कुछ लोग निर्जल व्रत भी करते हैं)
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रात्रि में जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।
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द्वादशी तिथि को व्रत का पारण करें – ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान दें।
📅 आने वाली प्रमुख एकादशी तिथियाँ (2025 में)
एकादशी | तिथि (संभावित) |
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सफला एकादशी | 5 जनवरी 2025 |
निर्जला एकादशी | 8 जून 2025 |
देवशयनी एकादशी | 5 जुलाई 2025 |
देवउठनी एकादशी | 1 नवम्बर 2025 |
वैकुण्ठ एकादशी | 27 दिसम्बर 2025 |
🔖 एकादशी के दिन क्या न करें?
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चावल, मांस, मसूर दाल, प्याज, लहसुन न खाएं।
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नींद में अधिक समय न बिताएं।
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क्रोध, झूठ, निंदा से बचें।
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शराब, धूम्रपान जैसे तमोगुणी कर्मों से दूर रहें।
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