सरकारी स्कूलों में प्यासे बच्चे – जब सबमर्सिबल लगे लेकिन पानी नहीं मिला
मधुबनी (BIHAR )
समस्या का परिचय
शिक्षा केवल पाठ्यक्रम और कक्षा तक सीमित नहीं होती, यह बच्चों के सम्पूर्ण विकास का माध्यम होती है। परंतु क्या हो जब स्कूलों में बच्चे प्यासे रह जाएँ? मधुबनी जिले के सरकारी स्कूलों में बच्चों को पानी की मूलभूत सुविधा तक नहीं मिल रही। लाखों रुपये की लागत से लगे सबमर्सिबल पंप और टंकियाँ या तो बंद हैं, या अनुपयोगी साबित हो रही हैं। यह केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि बच्चों के अधिकारों के साथ अन्याय है।
ज़मीनी हकीकत –
स्थान: प्राथमिक विद्यालय – मंगरौनी, सकरी प्रखंड, मधुबनी
तीन साल पहले इस स्कूल में सबमर्सिबल पंप लगाया गया।
आज तक बिजली कनेक्शन नहीं मिला, जिससे पंप चालू नहीं हो पाया।
पानी की टंकी और पाइप लाइन की कोई व्यवस्था नहीं है।
बच्चे प्यासे रह जाते हैं, शिक्षक और स्टाफ भी असहाय महसूस करते हैं।
यह मामला दिखाता है कि योजनाओं की घोषणा और ज़मीनी कार्यान्वयन में कितना बड़ा अंतर है।
ज़मीनी हकीकत –
स्थान: प्राथमिक विद्यालय – करही पंचायत, सकरी प्रखंड, मधुबनी
स्कूल में सबमर्सिबल और पोषण वाटिका दोनों बनाए गए।
परंतु पानी की कोई आपूर्ति नहीं है, जिससे पोषण वाटिका सूखी पड़ी है।
बच्चों को पीने के पानी के लिए आस-पास के घरों पर निर्भर रहना पड़ता है।
सरकारी योजना कागज़ों में पूरी हुई, बच्चों की प्यास फिर भी बरकरार है।
व्यापक समस्या और प्रशासनिक असफलता
रिपोर्ट में दर्जनों स्कूलों की स्थिति यही बताती है – कहीं टंकी गायब, कहीं पंप खराब, कहीं बिजली नहीं।
शिक्षा विभाग द्वारा समय पर निरीक्षण और ज़िम्मेदार निगरानी नहीं हो रही।
लाखों रुपये की योजनाएं कागज़ों पर पूरी दिखती हैं, ज़मीनी हालात इसके विपरीत हैं।
यह सवाल उठाता है:
क्या शिक्षा केवल कक्षाओं तक सीमित है?
क्या बच्चों को शुद्ध पानी उपलब्ध कराना प्राथमिक आवश्यकता नहीं?
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