🌼 रथ यात्रा: भगवान जगन्नाथ की पवित्र यात्रा
आज का दिन अत्यंत शुभ है। भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर मामा के घर निकल पड़े हैं। यह केवल यात्रा नहीं, यह ईश्वर के उस प्रेम और अपनापन का प्रतीक है जो हर भक्त के हृदय को छू जाता है।
पुरी की गलियों में आज भक्ति की गूंज है, रथ खींचने वालों की आस्था है, और हर मन में यही भावना है —
"भगवान आज खुद हमारे बीच हैं, हमारी गलियों से गुजर रहे हैं।"
🌿 क्या है इस परंपरा का महत्व?
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यह दिन यह दर्शाता है कि ईश्वर अपने भक्तों के बीच स्वयं चलकर आते हैं।
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रथ को हजारों भक्त मिलकर खींचते हैं, जिससे यह जन-जन की भक्ति और सहभागिता का प्रतीक बन जाता है।
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ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस रथ को खींचता है या केवल उसके दर्शन करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
🛕 मामा के घर का भाव
भगवान के "मामा के घर जाना" भारतीय पारिवारिक संस्कृति का एक प्यारा प्रतिबिंब है। यह दर्शाता है कि ईश्वर भी पारिवारिक रिश्तों को निभाते हैं।
गुंडिचा मंदिर को भगवान की मौसी या मामी का घर माना जाता है, जहाँ वो 7 दिन रुकते हैं और फिर वापस श्रीमंदिर लौटते हैं जिसे बहुड़ा यात्रा कहते हैं।
🎉 रथ यात्रा: भक्ति, संस्कृति और उत्सव का संगम
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चारों ओर शंख, घंटी और कीर्तन की ध्वनि होती है।
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रथों की भव्य सजावट, झूमते भक्तों की कतारें और भक्ति रस से भीगा वातावरण – यह एक ऐसा दृश्य होता है जो आत्मा को छू जाता है।
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केवल ओडिशा ही नहीं, आज रथ यात्रा देश-विदेश में भी बड़े उत्साह से मनाई जाती है।
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